Satudi Teej 2024 Date : सातुड़ी तीज/कजली तीज, जाने महत्त्व, पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त

Satudi Teej 2024 date

Satudi Teej 2024 date: सातुड़ी तीज को बड़ी तीज और कजरी तीज भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। सातुड़ी तीज या सावन तीज भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है और उनका यह पर्व अपने पति की लंबी आयु और परिवार की समृद्धि के लिए मनाया जाता है। सातुड़ी तीज का मुख्य उद्देश्य है प्रकृति के प्रति सम्मान और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करना।

Satudi Teej 2024 कब है? Satudi Teej 2024 date

इस साल सातुड़ी तीज/कजरी तीज 22 अगस्त को है|

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को सातुड़ी तीज/ कजरी तीज मनाई जाती है| भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ:  21 अगस्त , सायं 05: 06 मिनट से 
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त: 22 अगस्त,दोपहर 01: 46 मिनट पर 
उदया तिथि के अनुसार, कजरी तीज व्रत 22 अगस्त को रखा जाएगा।

सातुड़ी तीज मुहूर्त:

Satudi Teej 2024 date: सातुड़ी तीज/कजरी तीज के दिन पूजा भोर के समय की जाती है, तो इस साल सातुड़ी तीज/कजरी तीज की पूजा हेतु शुभ मुहूर्त 04:26 से प्रातः 05:10 तक रहेगा। 

सातुड़ी तीज/कजरी तीज में सत्तू का महत्त्व:

Satudi Teej 2024 date: सातुड़ी तीज पर सत्तू का विशेष महत्व होता है। सत्तू का भोग इस त्योहार का एक अभिन्न हिस्सा है। सत्तू, जिसे भूने हुए चने का आटा भी कहा जाता है, पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। इसे अलग-अलग तरीकों से तैयार किया जा सकता है। यहाँ सातुड़ी तीज पर सत्तू के भोग के बारे में जानकारी दी जा रही है:

सत्तू के लड्डू

सत्तू का महत्व

  • पौष्टिकता: सत्तू में प्रोटीन, फाइबर और अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  • परंपरा: सातुड़ी तीज के अवसर पर सत्तू का भोग लगाने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसे सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  • व्रत में सहायक: सत्तू का सेवन व्रत के बाद शरीर को आवश्यक ऊर्जा और पोषण प्रदान करता है।

सातुड़ी तीज का महत्व:

  • महिलाओं के लिए खास: यह त्योहार विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। यह उनका वैवाहिक जीवन सुखमय और खुशहाल बनाने के लिए किया जाता है।
  • व्रत और पूजा: इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं। वे अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं।
  • सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव: सातुड़ी तीज महिलाओं के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है, जहां वे पारंपरिक कपड़े पहनती हैं, गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं।
  • पति की लंबी आयु: इस व्रत को रखने का मुख्य उद्देश्य अपने पति की लंबी आयु की कामना करना होता है।
  • पारिवारिक समृद्धि: परिवार की खुशहाली और समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
  • प्रकृति के प्रति सम्मान: वर्षा ऋतु में आने वाला यह त्योहार प्रकृति के सौंदर्य और उसकी महत्ता को भी दर्शाता है।

सातुड़ी तीज की पूजा विधि:

सातुड़ी तीज पूजा विधि

स्नान और तैयार होना:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • स्वच्छ वस्त्र धारण करें, विशेषकर हरे रंग के कपड़े पहनें क्योंकि यह रंग सावन के महीने का प्रतीक होता है।

सजावट:

  • घर के मुख्य द्वार और पूजा स्थल को साफ करें।
  • रंगोली बनाएं और पूजा स्थल को फूलों से सजाएं।

पूजा की तैयारी:

  • पूजा की थाली तैयार करें जिसमें कुमकुम, हल्दी, चावल, फूल, धूप, दीपक, मिठाई, और फल रखें।
  • सातुड़ी तीज के विशेष पकवान जैसे सत्तू, पूड़ी, और अन्य पारंपरिक मिठाइयाँ बनाएं।

व्रत:

  • महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं, जिसमें वे पानी भी नहीं पीतीं।
  • अगर स्वास्थ्य अनुमति न दे, तो फलाहार कर सकती हैं।

झूला झूलना:

  • तीज के दिन झूला झूलना एक विशेष परंपरा है। महिलाएं पेड़ों पर झूला डालती हैं और गीत गाते हुए झूला झूलती हैं।

तीज माता की पूजा:

  • पूजा स्थल पर तीज माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • तीज माता को वस्त्र, आभूषण और मेहंदी अर्पित करें।
  • पूजा की थाली में रखे सामग्री से तीज माता की पूजा करें।
  • कुमकुम, हल्दी और फूल अर्पित करें।

कथा सुनना:

  • तीज माता की कथा सुनना अनिवार्य होता है।
  • पूजा के दौरान तीज माता की कथा सुनें और सुनाएं।
  • कथा सुनने के बाद तीज माता की आरती करें।

भजन-कीर्तन:

  • पूजा के बाद महिलाएं भजन-कीर्तन करती हैं।
  • तीज के गीत गाए जाते हैं और नृत्य भी किया जाता है।

सातुड़ी तीज की कथा:

सातुड़ी तीज के पीछे एक प्रमुख कथा है। कहा जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पति रूप में स्वीकार किया। इसीलिए, महिलाएं इस दिन व्रत रखकर देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं, ताकि उन्हें भी अपने वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त हो।

सातुड़ी तीज के नृत्य और गायन:

सातुड़ी तीज के दौरान, महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। ये गीत और नृत्य इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं।

सातुड़ी तीज न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह महिलाओं के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक मिलन का भी अवसर है। यह उनके जीवन में खुशियां और समृद्धि लाने का प्रतीक है।

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