Janmashtami Par Kaise Sajaye Jhanki?
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Janmashtami Par Kaise Sajaye Jhanki? जन्माष्टमी 2024 का पर्व सोमवार, 26 अगस्त को मनाया जाएगा। यह पर्व कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, भाद्रपद महीने में, मध्यरात्रि के समय मनाया जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, और यह माना जाता है कि उनका जन्म लगभग 5,000 साल पहले मथुरा में हुआ था।
जन्माष्टमी के पर्व पर झांकी का विशेष महत्व होता है। यह झांकी भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों और लीलाओं का चित्रण करती है। झांकी के माध्यम से भक्तजन श्रीकृष्ण के बाल्यकाल, रासलीला, गोवर्धन पर्वत उठाने, माखन चोरी, और अन्य अद्भुत लीलाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हैं।
Janmashtami Par Kaise Sajaye Jhanki?
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की झांकी सजाने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं: Janmashtami Par Kaise Sajaye Jhanki?
1. झांकी का स्थल चुनें: सबसे पहले, एक साफ-सुथरी और अच्छी जगह चुनें जहां झांकी सजाई जा सके। यह स्थान घर का मंदिर, कोई कोना या विशेष रूप से सजाया गया मंच हो सकता है।
2. बाल गोपाल की मूर्ति: सबसे पहले, श्रीकृष्ण की एक सुंदर मूर्ति या बाल गोपाल का चित्र स्थापित करें। इस मूर्ति को अच्छे से साफ करके पूजा स्थल पर रखें।
3. झूला सजावट: बाल गोपाल को झूले पर बिठाने की परंपरा है। आप झूले को फूलों, मोतियों, रेशमी कपड़े, और रंग-बिरंगी लाइट्स से सजाएं। झूला हरे और पीले रंग की साड़ियों या कपड़े से सजाया जा सकता है।
4. पुष्प और पत्तियों से सजावट: झांकी के आसपास ताजे फूलों की माला, गुलदस्ते, और तुलसी के पत्तों से सजावट करें। यह प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाता है और भक्तिमय वातावरण बनाता है।
5. मक्खन मटकी: श्रीकृष्ण माखन चुराने के लिए प्रसिद्ध हैं, इसलिए मक्खन मटकी (दही हांडी) भी झांकी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मटकी को सजाने के लिए उस पर रंग-बिरंगी पेंटिंग करें और उसमें सफेद कपड़ा भरें जिससे वह मक्खन जैसी दिखे।
6. धूप और दीप सजावट: झांकी के चारों ओर छोटी-छोटी दीपक जलाएं और धूप का प्रबंध करें। इससे झांकी का सौंदर्य और अधिक बढ़ जाएगा।
7. बांसुरी और मोरपंख: श्रीकृष्ण की झांकी को उनकी बांसुरी और मोरपंख से सजाएं। बांसुरी को उनके हाथ में रखें और मोरपंख को उनके मुकुट या पीछे रखें।
8. गोवर्धन पर्वत की झांकी: आप गोवर्धन पर्वत की छोटी झांकी भी बना सकते हैं, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण पर्वत उठाए हुए दिखाए जा सकते हैं।
9. बाल-लीलाओं की चित्रकारी: झांकी के आसपास श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं की चित्रकारी या छोटे-छोटे दृश्य बनाएं, जैसे माखन चोरी, गोकुल की गलियों में रासलीला, आदि।
10. लाइटिंग और म्यूजिक: झांकी में हल्की रोशनी का प्रबंध करें और मृदंग, बांसुरी, और अन्य धार्मिक संगीत बजाएं, जिससे वातावरण भक्तिमय बने।
11. रंगोली: झांकी के आगे सुंदर रंगोली बनाएं, जिसमें श्रीकृष्ण के पैरों के निशान, फूल, और अन्य धार्मिक चिन्ह हो सकते हैं।
12. ध्वनि और संगीत: झांकी के पास मधुर भजन, बांसुरी की ध्वनि, या अन्य धार्मिक संगीत बजाएं। इससे माहौल और भी पवित्र और भक्तिमय हो जाएगा।
इस तरह की सजावट से आपकी जन्माष्टमी की झांकी बेहद सुंदर और आकर्षक दिखेगी, जो भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को भलीभांति प्रदर्शित करेगी
जन्माष्टमी पर कैसे करे भगवन श्री कृष्ण की पूजा?
जन्माष्टमी पूजा विधि https://aawazbharatki.com/janmashtmi-2024-date/
1. स्नान और शुद्धिकरण:
- सबसे पहले, प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल और घर को साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करके शुद्ध करें।
2. पूजा स्थल तैयार करें:
- पूजा स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या बाल गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें। साथ ही, पूजा की थाली में धूप, दीप, पुष्प, अक्षत (चावल), फल, मिठाई, तुलसी पत्र, गंगाजल, माखन-मिश्री, और पंचामृत रखें।
3. व्रत का संकल्प लें:
- भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से पहले व्रत का संकल्प लें। व्रत का संकल्प लेने के बाद पूरे दिन उपवास रखें। आप चाहें तो फलाहार कर सकते हैं।
4. ध्यान और आवाहन:
- ध्यान करें और भगवान श्रीकृष्ण का आवाहन करें। उन्हें ध्यान में रखते हुए पुष्प अर्पित करें और “ॐ श्रीकृष्णाय नमः” मंत्र का जाप करें।
5. स्नान और वस्त्र अर्पण:
- भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाएं और फूलों से सजाएं।
6. पंचामृत स्नान:
- भगवान को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से स्नान कराएं और उसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं। पंचामृत को प्रसाद के रूप में संग्रहित करें।
7. श्रृंगार और भोग:
- भगवान श्रीकृष्ण को नए वस्त्र, आभूषण, और मोरपंख से सजाएं। इसके बाद उन्हें माखन-मिश्री, फल, मिठाई, और पंचामृत का भोग अर्पित करें।
8. आरती:
- धूप और दीप जलाकर भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें। आरती के समय घंटी और शंख बजाएं और “ॐ जय कन्हैया लाल की” या अन्य कृष्ण भजनों का गायन करें।
9. मंत्र जाप और कथा:
- श्रीकृष्ण के विभिन्न मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ श्रीकृष्णाय नमः”। इसके बाद श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की कथा का पाठ या श्रवण करें। आप चाहें तो भगवद गीता का पाठ भी कर सकते हैं।
10. मध्यरात्रि पूजा:
- भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि के 12 बजे हुआ था, इसलिए इस समय विशेष पूजा करें। आरती करें, भजन गाएं, और भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाएं।
11. प्रसाद वितरण:
- पूजा के अंत में भोग को प्रसाद के रूप में परिवार के सदस्यों और अन्य भक्तों में बांटें। व्रत रखने वाले भक्तजन रात में प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।
12. माखन मटकी और अन्य परंपराएं:
- जन्माष्टमी पर माखन मटकी (दही हांडी) फोड़ने की परंपरा भी है। इसे बच्चों और युवाओं के साथ मिलकर खेल के रूप में मनाएं।
जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को किसका भोग लगाये?
जन्माष्टमी के अवसर पर लड्डू गोपाल (बाल श्रीकृष्ण) को विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट और विशेष भोग अर्पित किए जाते हैं। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व है, इसलिए उन्हें उनके पसंदीदा व्यंजनों का भोग लगाना भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। भोग के रूप में स्वच्छ और शुद्ध भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख भोग सामग्री का वर्णन है, जो लड्डू गोपाल को जन्माष्टमी पर अर्पित की जाती है:
माखन (मक्खन):
- भगवान श्रीकृष्ण को माखन बहुत प्रिय था, इसलिए जन्माष्टमी पर माखन का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है। इसे मिश्री या चीनी के साथ भी मिलाकर अर्पित किया जा सकता है, जिसे माखन मिश्री कहा जाता है।
- माखन को शुद्ध रूप से गाय के दूध से बनाया जाता है और इसे ताजे तुलसी के पत्तों के साथ लड्डू गोपाल को अर्पित किया जाता है।
मिष्ठान्न (मिठाई):
- लड्डू, पेड़ा, बर्फी, गुलाब जामुन, और रबड़ी जैसी मिठाइयाँ भगवान श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय हैं। इन्हें विशेष रूप से जन्माष्टमी पर तैयार करके लड्डू गोपाल को भोग में अर्पित किया जाता है।
- विशेष रूप से माखन लड्डू या बेसन के लड्डू को जन्माष्टमी पर भोग के लिए विशेष माना जाता है।
पंचामृत:
- पंचामृत का भोग भी अर्पित किया जाता है, जो दूध, दही, घी, शहद और मिश्री से मिलकर बनता है। इसे भगवान की मूर्ति का अभिषेक करने के बाद प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है।
- पंचामृत को अत्यधिक पवित्र माना जाता है और यह भगवान की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ माध्यम है।
फल:
- लड्डू गोपाल को विभिन्न प्रकार के ताजे और स्वादिष्ट फलों का भोग लगाया जाता है, जैसे कि केला, सेब, अंगूर, पपीता, नारियल आदि। फलों को धोकर और छीलकर भगवान के समक्ष अर्पित किया जाता है।
- फलों का भोग लगाने से शुद्धता और ताजगी का भाव आता है, और यह भोग साधारण और शुद्धता का प्रतीक है।
खीर:
- खीर भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय व्यंजन है, और इसे चावल, दूध, चीनी या गुड़, और केसर के साथ मिलाकर बनाया जाता है। जन्माष्टमी पर खीर का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है।
- खीर को तुलसी के पत्तों के साथ अर्पित किया जाता है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है।
पोहा (चिउड़ा):
- विशेष रूप से गोकुल और वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण को पोहा का भोग लगाया जाता है। यह प्रसाद उत्तर भारत में अधिक प्रसिद्ध है और इसे माखन और गुड़ के साथ मिलाकर अर्पित किया जाता है।
- पोहा और माखन का मिश्रण श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक है, जब वे गोपियों के घरों से माखन चुराते थे।
नवनीत (ताजा मक्खन):
- ताजे मक्खन को नवनीत कहते हैं। नवनीत भगवान श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय था और उनकी बाल लीलाओं से जुड़ा हुआ है। जन्माष्टमी पर ताजे नवनीत को अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
सूखे मेवे:
- सूखे मेवे जैसे बादाम, काजू, किशमिश, अखरोट, और पिस्ता का भी भोग लगाया जाता है। इन्हें मिठाइयों या खीर में मिलाकर भी अर्पित किया जा सकता है।
मीठा पान:
- कुछ स्थानों पर भगवान श्रीकृष्ण को मीठे पान का भोग भी लगाया जाता है, जिसमें सौंफ, इलायची और गुलकंद डाले जाते हैं। यह भोग विशेष रूप से दक्षिण भारत और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में लगाया जाता है।
विशेष बातें:
- तुलसी का पत्ता: श्रीकृष्ण की पूजा में तुलसी के पत्तों का अत्यधिक महत्व है। जो भी भोग लगाया जाए, उसमें तुलसी का पत्ता जरूर अर्पित किया जाता है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी अत्यधिक प्रिय है।
- सात्विक भोजन: लड्डू गोपाल को हमेशा सात्विक और शुद्ध भोजन का भोग लगाना चाहिए। प्याज, लहसुन, और अन्य तामसिक चीजों का प्रयोग भोग में नहीं किया जाता है।
- भक्ति और प्रेम: भोग अर्पित करते समय सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे प्रेम और भक्ति से तैयार किया जाए। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में प्रेम ही सबसे बड़ा भोग होता है।