Gandhi Jayanti 2024
Gandhi Jayanti 2024
Gandhi Jayanti 2024 : गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह दिन भारत और दुनिया भर में गांधीजी के योगदान, विचारों और उनके अहिंसावादी सिद्धांतों को याद करने के लिए समर्पित है। महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है, और उनका पूरा जीवन स्वतंत्रता, समानता, और सामाजिक न्याय के आदर्शों के प्रति समर्पित रहा।
गाँधी जयंती पर दे यह सन्देश और भाषण: https://aawazbharatki.com/gandhi-jayanti-wishes-and-speech/
गांधीजी का पूरा नाम क्या है?
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।
Gandhi Jayanti 2024
महात्मा गाँधी राष्ट्र पिता क्यों कहलाये?
Gandhi Jayanti 2024 : महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता (Father of the Nation) कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया और भारतीय समाज में अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों को स्थापित किया। उनके नेतृत्व में भारत ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्ण और अहिंसात्मक आंदोलन किए।
महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” की उपाधि पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने 1944 में रेडियो पर एक प्रसारण के दौरान दी थी। बोस ने गांधीजी को “राष्ट्रपिता” कहकर उन्हें सम्मानित किया, क्योंकि गांधीजी ने भारत को एकजुट किया और स्वतंत्रता संग्राम में अपना अद्वितीय योगदान दिया। यह उपाधि भारत के प्रति उनके महान सेवा और नेतृत्व के लिए दी गई थी।
महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अहम भूमिका निभाई, बल्कि भारतीय समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जागरूकता भी लाई। उनके सिद्धांत और आदर्श आज भी पूरे विश्व में प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय:
प्रारंभिक जीवन:
- पूरा नाम: मोहनदास करमचंद गांधी
- जन्म: 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर, गुजरात, भारत
- माता-पिता: करमचंद गांधी (पिता) और पुतलीबाई (माता)
- पत्नी: कस्तूरबा गांधी (विवाह 1883 में, जब गांधीजी 13 वर्ष के थे)
- बच्चे: हरिलाल, मणिलाल, रामदास, और देवदास गांधी
Gandhi Jayanti 2024 : गांधीजी का जन्म पोरबंदर के एक हिंदू व्यापारी परिवार में हुआ था। उनकी माता पुतलीबाई धार्मिक महिला थीं, जिनका गांधीजी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। गांधीजी के बचपन में ही उनके जीवन में सत्य और धार्मिकता के प्रति झुकाव आ गया था।
शिक्षा:
- प्रारंभिक शिक्षा: राजकोट में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।
- लंदन में कानून की पढ़ाई: 1888 में, गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए लंदन गए और वहाँ से कानून की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1891 में बार-एट-लॉ की डिग्री प्राप्त की और वकालत करने के लिए भारत लौट आए।
गांधीजी का योगदान:
अहिंसा : महात्मा गांधी के जीवन का सबसे बड़ा आदर्श अहिंसा था। उन्होंने किसी भी प्रकार की हिंसा को अस्वीकार किया और शांतिपूर्ण तरीकों से विरोध करने की वकालत की। उनके नेतृत्व में भारत का स्वतंत्रता संग्राम पूरी तरह से अहिंसा और सत्याग्रह पर आधारित था।
सत्याग्रह: गांधीजी ने “सत्याग्रह” की अवधारणा विकसित की, जिसका अर्थ है सत्य और दृढ़ संकल्प। सत्याग्रह के माध्यम से उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध किया और उनके अन्यायपूर्ण कानूनों को चुनौती दी।
स्वतंत्रता संग्राम: महात्मा गांधी ने 1915 में भारत लौटकर स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। उनके महत्वपूर्ण आंदोलनों में असहयोग आंदोलन (1920), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930), और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) प्रमुख रहे। ये आंदोलन अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों पर आधारित थे।
स्वदेशी आंदोलन: गांधीजी ने स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग को बढ़ावा दिया और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया। उन्होंने खुद चरखे से सूत काता और लोगों से खादी पहनने की अपील की। यह आंदोलन ब्रिटिश वस्त्र उद्योग के खिलाफ आर्थिक विरोध का प्रतीक था।
समाज सुधारक: महात्मा गांधी जाति प्रथा के विरोधी थे और उन्होंने अछूतों (दलितों) के अधिकारों के लिए काम किया। उन्होंने उन्हें “हरिजन” (ईश्वर के बच्चे) कहकर सम्मान दिया और समाज में उनके प्रति भेदभाव समाप्त करने की कोशिश की।
महिला सशक्तिकरण: गांधीजी ने महिला अधिकारों का समर्थन किया और उन्हें समाज में बराबरी का स्थान दिलाने के लिए प्रयास किए। उनके आंदोलनों में महिलाएं भी सक्रिय रूप से भाग लेती थीं।
Gandhi Jayanti 2024 :
गांधी जयंती का महत्व:
Gandhi Jayanti 2024 : अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस: 2 अक्टूबर को न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया, जिससे गांधीजी के अहिंसा और शांति के संदेश को वैश्विक स्तर पर सम्मान मिला।
राष्ट्र के प्रति योगदान: गांधीजी ने भारत को अंग्रेजों के शासन से स्वतंत्र कराने में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने न केवल भारत के लोगों को संगठित किया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने और अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से लड़ने का रास्ता दिखाया।
अहिंसा और शांति का संदेश: गांधी जयंती अहिंसा, शांति, और सत्य की शक्ति को समझने का अवसर है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि संघर्ष और अन्याय का सामना करने के लिए हिंसा का सहारा लिए बिना भी सफलता पाई जा सकती है।
स्वच्छता अभियान: महात्मा गांधी स्वच्छता के बड़े समर्थक थे। वे कहते थे, “स्वच्छता, स्वतंत्रता से भी अधिक महत्वपूर्ण है।” इसी आदर्श को ध्यान में रखते हुए 2014 में भारत में स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया गया, जिसे गांधी जयंती के अवसर पर विशेष रूप से मनाया जाता है।
गांधी जयंती का समारोह:
Gandhi Jayanti 2024 : राजघाट पर श्रद्धांजलि: गांधीजी की समाधि राजघाट, दिल्ली में स्थित है। हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य प्रमुख नेता यहां जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
स्कूलों और संस्थानों में कार्यक्रम: गांधी जयंती पर स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें गांधीजी के जीवन और उनके विचारों पर चर्चा, निबंध लेखन, भाषण, और कला प्रतियोगिताएं होती हैं।
प्रवचन और भजन: इस दिन गांधीजी के प्रिय भजन, “रघुपति राघव राजा राम” का गायन होता है। लोग उनकी शिक्षाओं पर ध्यान देते हैं और उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं।
स्वच्छता अभियान: कई स्थानों पर गांधी जयंती के अवसर पर स्वच्छता अभियानों का आयोजन किया जाता है। लोग सड़कों, पार्कों और सार्वजनिक स्थानों पर सफाई करते हैं, जिससे समाज में स्वच्छता का संदेश प्रसारित होता है।
गांधीजी के विचार और सिद्धांत:
- सत्य: महात्मा गांधी का मानना था कि सत्य सबसे बड़ी नैतिकता है। उनका जीवन सत्य की खोज और उसे अपनाने का प्रयास था।
- अहिंसा: गांधीजी का सबसे बड़ा सिद्धांत अहिंसा था। उनका मानना था कि किसी भी प्रकार की हिंसा केवल नकारात्मकता और विनाश लाती है।
- सर्वधर्म समभाव: गांधीजी सभी धर्मों का समान सम्मान करते थे और उन्हें एक समान मानते थे। वे कहते थे कि सभी धर्म सत्य की ओर ले जाते हैं, चाहे उनका मार्ग अलग-अलग क्यों न हो।
- स्वराज: गांधीजी का “स्वराज” का विचार न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए था, बल्कि आत्म-निर्भरता और आत्म-प्रबंधन का भी प्रतीक था।
Gandhi Jayanti 2024 :
गांधीजी के आन्दोलन:
1. चंपारण सत्याग्रह (1917):
- स्थान: बिहार, चंपारण
- कारण: चंपारण के किसान ब्रिटिश नील उत्पादकों द्वारा शोषित हो रहे थे। किसानों को अपनी भूमि पर नील की खेती करने के लिए मजबूर किया जाता था और उन्हें उचित मूल्य नहीं मिलता था।
- गांधीजी की भूमिका: गांधीजी ने किसानों के समर्थन में सत्याग्रह शुरू किया और ब्रिटिश अधिकारियों पर दबाव बनाया। उनकी अहिंसात्मक लड़ाई के बाद, किसानों को उनकी भूमि पर स्वायत्तता मिली और नील की खेती से मुक्ति मिली।
2. अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन (1918):
- स्थान: अहमदाबाद, गुजरात
- कारण: मिल मजदूरों को खराब वेतन और काम की कठिन शर्तों का सामना करना पड़ रहा था। मजदूरों ने अपनी मजदूरी बढ़ाने की मांग की।
- गांधीजी की भूमिका: गांधीजी ने मजदूरों के समर्थन में भूख हड़ताल की और मालिकों को मजदूरों की मांगों को मानने के लिए मजबूर किया। इसका परिणाम यह हुआ कि मजदूरों की मजदूरी बढ़ाई गई और उनकी स्थिति में सुधार हुआ।
3. खिलाफत आंदोलन (1919-1924):
- कारण: यह आंदोलन मुसलमानों द्वारा ओटोमन साम्राज्य के खलीफा के पद को बनाए रखने के लिए शुरू किया गया था, जिसे प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार ने कमजोर किया।
- गांधीजी की भूमिका: गांधीजी ने इस आंदोलन का समर्थन किया, ताकि हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन के साथ जोड़ा। हालांकि, बाद में यह आंदोलन कमजोर हो गया, लेकिन इससे हिंदू-मुस्लिम एकता को बल मिला।
4. असहयोग आंदोलन (1920-1922):
- कारण: जलियांवाला बाग हत्याकांड और रॉलेट एक्ट जैसे ब्रिटिश सरकार के दमनकारी कानूनों के विरोध में शुरू किया गया।
- गांधीजी की भूमिका: गांधीजी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ असहयोग का आह्वान किया, जिसमें ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार, सरकारी पदों से इस्तीफा देना, और ब्रिटिश शैक्षिक संस्थानों का परित्याग शामिल था। इस आंदोलन ने पूरे भारत में ब्रिटिश वस्त्रों की होली जलाने और खादी के वस्त्रों को अपनाने की लहर पैदा की। हालांकि, 1922 में चौरी चौरा कांड (हिंसक घटना) के बाद गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया।
5. सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930):
- कारण: ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कर और अन्य दमनकारी कानूनों के विरोध में यह आंदोलन शुरू किया गया।
- गांधीजी की भूमिका: इस आंदोलन का प्रमुख हिस्सा था दांडी मार्च। 12 मार्च 1930 को गांधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक 240 मील की पैदल यात्रा की और वहां समुद्र तट पर नमक बनाकर ब्रिटिश नमक कानून का उल्लंघन किया। इससे पूरे देश में सविनय अवज्ञा की लहर दौड़ पड़ी, जहां लोग ब्रिटिश कानूनों का शांतिपूर्ण तरीके से उल्लंघन करने लगे।
6. भारत छोड़ो आंदोलन (1942):
- कारण: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों से बिना उनकी सहमति के युद्ध में समर्थन मांगा। गांधीजी ने अंग्रेजों को भारत से पूरी तरह बाहर करने का आह्वान किया।
- गांधीजी की भूमिका: 8 अगस्त 1942 को, गांधीजी ने “भारत छोड़ो” का नारा दिया और पूरे देश में स्वतंत्रता के लिए अंतिम आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने कहा, “करो या मरो” (Do or Die)। इस आंदोलन के दौरान गांधीजी और अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन यह आंदोलन स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
7. हरिजन आंदोलन (1932):
- कारण: भारतीय समाज में छुआछूत और दलितों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ।
- गांधीजी की भूमिका: गांधीजी ने दलितों को “हरिजन” (ईश्वर के बच्चे) का नाम दिया और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और मंदिरों में हरिजनों के प्रवेश की वकालत की। उन्होंने दलितों के साथ भेदभाव के खिलाफ सामाजिक सुधार के लिए अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा समर्पित किया।
8. व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940):
- कारण: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय नेताओं को पूछे बिना ब्रिटिश सरकार ने भारत को युद्ध में शामिल किया।
- गांधीजी की भूमिका: गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार के इस कदम का विरोध किया और इसे भारतीय स्वतंत्रता के लिए गलत ठहराया। उन्होंने व्यक्तिगत सत्याग्रह की शुरुआत की, जिसमें व्यक्तिगत रूप से ब्रिटिश शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध किया जाता था।
गांधीजी के आंदोलनों का प्रभाव:
- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: गांधीजी के आंदोलनों ने पूरे भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुटता और साहस पैदा किया। लाखों लोग उनके विचारों और अहिंसात्मक तरीकों से प्रेरित होकर आंदोलनों में शामिल हुए।
- अहिंसा और सत्याग्रह: गांधीजी के आंदोलन केवल राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए नहीं थे, बल्कि उन्होंने लोगों को नैतिकता, अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से अपने अधिकारों के लिए खड़ा होने की शिक्षा दी। उनका यह सिद्धांत आज भी विश्वभर में प्रेरणा का स्रोत है।
- सामाजिक सुधार: गांधीजी के आंदोलनों ने न केवल भारत को आजादी दिलाई, बल्कि समाज में व्याप्त भेदभाव और जातिवाद को समाप्त करने के प्रयास भी किए।
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