Chittorgarh Fort
इस किले का निर्माण 7वीं शताब्दी में मौर्य राजवंश के राजा चित्रांगद मौर्य द्वारा किया गया था। यह किला लगभग 700 एकड़ में फैला हुआ है और 180 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, जो इसे एक प्राकृतिक दुर्ग की तरह बनाता है।
Chittorgarh Fort: चित्तौड़गढ़ किला, जिसे चित्तौड़ के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह किला राजस्थान के सबसे बड़े और प्रसिद्ध किलों में से एक है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। https://exploreworld1176.blogspot.com/2024/08/chittorgarh-fort.html#more
चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास:
Chittorgarh Fort: चित्तौड़गढ़ किला, राजस्थान का सबसे बड़ा किला है और इसका इतिहास वीरता, बलिदान और सम्मान की कहानियों से भरा हुआ है। इस किले का निर्माण मौर्य वंश के राजा चित्रांगद मौर्य ने 7वीं शताब्दी में करवाया था। चित्तौड़गढ़ किला, जो लगभग 700 एकड़ में फैला हुआ है, मेवाड़ की राजधानी के रूप में कार्य करता था और यह स्थान राजपूतों की वीरता का प्रतीक माना जाता है।
चित्तोडगढ किले के प्रमुख युद्ध और साके/जौहर:
Chittorgarh Fort: चित्तौड़गढ़ किला राजस्थान के इतिहास में वीरता और बलिदान का प्रतीक रहा है। इस किले पर तीन प्रमुख युद्ध हुए हैं, जिन्हें “चित्तौड़ की तीन जौहर” के रूप में भी जाना जाता है। ये युद्ध किले की रक्षा के लिए लड़े गए और प्रत्येक युद्ध के बाद किले की महिलाओं ने जौहर और पुरुषों ने शाका किया। आइए इन प्रमुख युद्धों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
चित्तोडगढ किले के साके/जौहर:
- रानी पद्मिनी का जोहर (1303)
- रानी कर्णावती का जोहर (1535)
- फूल कँवर का जोहर (1567)
1. अलाउद्दीन खिलजी का चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण (1303):
- प्रमुख कारण: अलाउद्दीन खिलजी, दिल्ली का सुल्तान, रानी पद्मिनी की सुंदरता से मोहित हो गया और उसे पाने की इच्छा से चित्तौड़ पर आक्रमण किया।
- युद्ध का परिणाम: राणा रतन सिंह और उनकी सेना ने वीरतापूर्वक खिलजी की सेना का मुकाबला किया, लेकिन भारी संख्या और संसाधनों के कारण चित्तौड़ की सेना हार गई। रानी पद्मिनी और किले की अन्य महिलाओं ने जौहर कर लिया ताकि वे खिलजी की कैद में न जा सकें। यह चित्तौड़गढ़ का पहला जौहर माना जाता है।
2. बहादुर शाह का चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण (1535):
- प्रमुख कारण: गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने अपनी सत्ता को बढ़ाने के लिए चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया।
- युद्ध का परिणाम: महाराणा विक्रमादित्य और बाद में रानी कर्णावती के नेतृत्व में चित्तौड़ की सेना ने बहादुर शाह का सामना किया। लेकिन सुल्तान की ताकतवर सेना के आगे वे टिक नहीं सके। इस हार के बाद, रानी कर्णावती और अन्य राजपूत महिलाओं ने जौहर कर लिया। इसे चित्तौड़ का दूसरा जौहर कहा जाता है।
3. अकबर का चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण (1567):
- प्रमुख कारण: मुगल सम्राट अकबर ने चित्तौड़गढ़ को अपने साम्राज्य में शामिल करने के लिए इस पर आक्रमण किया। अकबर के इस आक्रमण का एक अन्य कारण राणा उदय सिंह की स्वतंत्रता और उनकी शक्ति को समाप्त करना था।
- युद्ध का परिणाम: महाराणा उदय सिंह ने चित्तौड़गढ़ को छोड़कर अन्य स्थान पर चले जाने का निर्णय लिया और किले की रक्षा का जिम्मा जयमल और फत्ता जैसे वीरों को सौंपा। मुगलों की विशाल सेना के सामने चित्तौड़ की सेना हार गई। इस युद्ध के बाद किले में तीसरा और अंतिम जौहर हुआ।
चित्तोडगढ किले पर घुमने की जगहे(places to visit in chittorgarh fort)
Chittorgarh Fort: चित्तौड़गढ़ किला अपने ऐतिहासिक महत्व, वास्तुकला, और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। किले के भीतर और इसके आसपास कई महत्वपूर्ण स्थल हैं, जो इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। यहाँ चित्तौड़गढ़ किले पर घूमने की प्रमुख जगहों की सूची दी गई है: https://exploreworld1176.blogspot.com/2024/08/chittorgarh-fort.html#more
Chittorgarh Fort
1. विजय स्तंभ (Victory Tower):
- महाराणा कुंभा द्वारा 1440 में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर विजय के उपलक्ष्य में बनवाया गया यह स्तंभ 9 मंजिला है। यह राजपूत शौर्य और विजयी गाथाओं का प्रतीक है। इस स्तंभ पर intricate नक्काशी और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं।
2. कीर्ति स्तंभ (Tower of Fame):
- यह स्तंभ 12वीं शताब्दी में जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित किया गया था। यह स्तंभ जैन वास्तुकला का एक उत्तम उदाहरण है और इसके भीतर जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
3. राणा कुंभा महल:
- यह महल मेवाड़ के महान शासक महाराणा कुंभा का निवास स्थान था। यह महल अब खंडहर में बदल चुका है, लेकिन इसके अवशेष आज भी राजपूत वास्तुकला की भव्यता को दर्शाते हैं। यह वही स्थान है जहाँ से रानी पद्मिनी ने जौहर किया था।
4. पद्मिनी महल:
- रानी पद्मिनी का यह महल चित्तौड़गढ़ किले के भीतर स्थित है। यह महल अपनी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इसी महल में रानी पद्मिनी के दर्शन के लिए अलाउद्दीन खिलजी को जलाशय के जल में उनकी छवि दिखलाई गई थी।
5. मीराबाई मंदिर:
- मीराबाई, जो भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थीं, का यह मंदिर उनके समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। इस मंदिर में मीराबाई की मूर्ति और उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं का वर्णन किया गया है।
6. कालिका माता मंदिर:
- यह मंदिर मूल रूप से सूर्य भगवान का मंदिर था, जिसे बाद में कालिका माता के मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया। यह मंदिर किले के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है और यहाँ नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा होती है।
7. गौमुख कुंड:
- गौमुख कुंड एक पवित्र जलाशय है, जिसे “गौमुख” (गाय के मुख) से जल गिरता है। यह स्थान किले के सबसे शांत और पवित्र स्थलों में से एक है और यहाँ आकर मन को शांति मिलती है।
8. फत्ता हावेली:
- यह हावेली राणा फत्ता सिंह की थी, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ किले की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस हावेली के अवशेष आज भी इतिहास की गवाही देते हैं।
9. सत्ता और फत्ता का स्मारक:
- यह स्मारक उन दो वीर राजपूत योद्धाओं, सत्ता और फत्ता, की याद में बनाया गया है जिन्होंने मुगलों के खिलाफ किले की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे।
10. राजमहल (राजा रतन सिंह का महल):
- यह महल किले के भीतर स्थित है और इसे राजा रतन सिंह द्वारा बनवाया गया था। यह महल अपने भव्य आंगन, विस्तृत दरबार हॉल और सुंदर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
11. सूरज पोल और चित्तौड़गढ़ का मुख्य द्वार:
- सूरज पोल किले का मुख्य प्रवेश द्वार है, जहाँ से किले में प्रवेश किया जाता है। यहाँ से किले का विहंगम दृश्य दिखाई देता है और यह स्थान किले की सुरक्षा और रक्षा के लिए महत्वपूर्ण था।
13. जौहर स्थल:
- यह वह पवित्र स्थान है जहाँ चित्तौड़गढ़ की रानियों और अन्य महिलाओं ने जौहर किया था। यह स्थान राजस्थान की राजपूत महिलाओं के अदम्य साहस और सम्मान की याद दिलाता है। यहाँ एक स्मारक भी है जो इस बलिदान को सम्मानित करता है।
14. फतेह प्रकाश महल:
- इस महल का निर्माण महाराणा फतेह सिंह ने करवाया था। अब इस महल को एक संग्रहालय में बदल दिया गया है, जिसमें प्राचीन मूर्तियाँ, पेंटिंग्स, हथियार, और अन्य ऐतिहासिक वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं। यह महल चित्तौड़गढ़ के समृद्ध इतिहास को जानने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
15. नेहरू बगीचा:
- यह सुंदर उद्यान किले के भीतर स्थित है और यहां से चित्तौड़गढ़ किले का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। यह बगीचा पर्यटकों के लिए एक शांत और सुंदर स्थान है, जहाँ वे इतिहास से कुछ समय के लिए दूर रह सकते हैं।
16. महासती:
- महासती वह स्थान है जहाँ राजपूत राजा और उनके परिजनों का अंतिम संस्कार किया जाता था। यहाँ कई स्मारक और समाधियाँ हैं, जो उन शूरवीरों और वीरांगनाओं की याद में बनाए गए हैं जिन्होंने किले की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
17. राजाराम मंदिर:
- यह मंदिर किले के भीतर स्थित है और भगवान राम को समर्पित है। यह मंदिर राजपूत राजाओं के धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा था।
18. रतन सिंह महल:
- रतन सिंह महल चित्तौड़गढ़ किले के अंदर स्थित एक और शानदार महल है। यह महल अपने बड़े आंगन, स्तंभों, और भव्यता के लिए जाना जाता है। यहाँ से किले के आसपास के क्षेत्रों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
19. सती मंदिर:
- यह मंदिर महाराणा कुंभा की पत्नी रानी सती को समर्पित है, जिन्होंने पति की मृत्यु के बाद सती की रस्म निभाई थी। इस मंदिर का निर्माण महाराणा कुंभा ने अपनी पत्नी की स्मृति में करवाया था।
20. गोमुख जलाशय (Gaumukh Reservoir):
- यह जलाशय गौमुख कुंड का एक हिस्सा है और किले के भीतर स्थित है। यह जलाशय किले के निवासियों के लिए पीने के पानी का मुख्य स्रोत था। यह स्थान पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है, क्योंकि यह एक शांत और पवित्र स्थल है।
21. सिंह पोल:
- सिंह पोल किले के सात द्वारों में से एक है, जो किले की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। इस द्वार पर सिंह की मूर्तियाँ अंकित हैं, जो राजपूतों की वीरता और शक्ति का प्रतीक हैं।
22. खंडर रानी का महल:
- यह महल किले के भीतर स्थित है और इसकी संरचना अब खंडहर में बदल चुकी है। यह महल रानी पद्मिनी के समय का था और इसे रानी के निजी निवास के रूप में जाना जाता है।
23. नागिन बावड़ी:
- यह बावड़ी (कुआँ) किले के भीतर स्थित एक सुंदर और ऐतिहासिक जलाशय है। इसे नागिन बावड़ी कहा जाता है क्योंकि इसकी संरचना नागिन (सांप) की तरह दिखती है। यह किले के जल संचयन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
24. पलास पोल:
- पलास पोल किले के महत्वपूर्ण द्वारों में से एक है, जो किले के अंदर जाने का प्रमुख मार्ग है। यह द्वार किले की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था और यहाँ से किले का शानदार दृश्य दिखाई देता है।
25. चित्तौड़गढ़ संग्रहालय:
- किले के भीतर स्थित इस संग्रहालय में चित्तौड़गढ़ और राजस्थान के इतिहास, संस्कृति, और कला से संबंधित विभिन्न वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं। यहाँ आपको प्राचीन मूर्तियाँ, शिलालेख, सिक्के, और अन्य ऐतिहासिक सामग्री देखने को मिलेंगी।
26. गणेश मंदिर:
- यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है और किले के भीतर स्थित है। यह मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और यहाँ पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं।
चित्तोडगढ किले के प्रमुख द्वार/दरवाजे:
Chittorgarh Fort:
1. पादल पोल (Padal Pol):
- स्थान: यह किले का पहला और सबसे बाहरी द्वार है।
- विशेषता: पादल पोल, किले के मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। इसका निर्माण राणा कुंभा के शासनकाल के दौरान किया गया था। यह द्वार दुश्मनों को रोकने के लिए मजबूत और ऊंचा बनाया गया था।
- इतिहास: इस द्वार पर कई आक्रमणकारियों ने हमला किया, लेकिन यह द्वार हमेशा चित्तौड़गढ़ के रक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा अवरोध रहा।
2. भैरों पोल (Bhairon Pol):
- स्थान: पादल पोल से आगे स्थित यह दूसरा द्वार है।
- विशेषता: भैरों पोल, भैरव (शिव के एक रूप) के नाम पर रखा गया है। यह द्वार किले के भीतर के क्षेत्र की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग का हिस्सा है।
- इतिहास: भैरों पोल पर कई बार युद्ध हुए, विशेषकर अलाउद्दीन खिलजी और अकबर के आक्रमण के दौरान। यह द्वार किले की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
3. हनुमान पोल (Hanuman Pol):
- स्थान: भैरों पोल के आगे स्थित है।
- विशेषता: इस द्वार के पास एक हनुमान मंदिर स्थित है, जिसके कारण इसका नाम हनुमान पोल रखा गया। यह द्वार किले की भीतरी संरचनाओं की ओर जाता है।
- इतिहास: इस द्वार पर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है, जो किले के रक्षकों के लिए शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती थी।
4. गणेश पोल (Ganesh Pol):
- स्थान: हनुमान पोल के बाद स्थित है।
- विशेषता: गणेश पोल के पास भगवान गणेश की मूर्ति स्थित है, जो हर शुभ कार्य की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है। यह द्वार किले के भीतरी हिस्से की ओर प्रवेश करने के लिए महत्वपूर्ण था।
- इतिहास: इस द्वार को धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है, क्योंकि भगवान गणेश को संकटों का नाशक माना जाता है।
Chittorgarh Fort:
5. जोरो पोल (Jorla Pol):
- स्थान: गणेश पोल के बाद स्थित है।
- विशेषता: जोरो पोल दोहरी संरचना वाला द्वार है। इसका निर्माण किले की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए किया गया था। यह द्वार भीतरी किले तक पहुँचने का मार्ग था।
- इतिहास: यह द्वार कई आक्रमणों के दौरान किले की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा।
6. लक्ष्मण पोल (Lakshman Pol):
- स्थान: जोरो पोल के बाद स्थित है।
- विशेषता: लक्ष्मण पोल का नाम रामायण के पात्र लक्ष्मण के नाम पर रखा गया है। यह द्वार भीतरी महलों और मंदिरों की ओर जाने का रास्ता है।
- इतिहास: इस द्वार से किले के भीतर के मुख्य क्षेत्रों तक पहुंचा जा सकता था। इसके रणनीतिक महत्व के कारण इसे मजबूत और सुरक्षित बनाया गया था।
7. राम पोल (Ram Pol):
- स्थान: किले के सबसे अंदरूनी हिस्से की ओर जाने वाला अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण द्वार।
- विशेषता: राम पोल किले का मुख्य द्वार है और इसका नाम भगवान राम के नाम पर रखा गया है। यह सबसे बड़ा और सबसे मजबूत द्वार है।
- इतिहास: राम पोल चित्तौड़गढ़ किले का मुख्य प्रवेश द्वार था, जहाँ से सभी शाही और प्रमुख आगंतुक प्रवेश करते थे। इस द्वार पर कई बार आक्रमण हुआ, लेकिन यह हमेशा दुश्मनों के लिए एक बड़ा अवरोधक साबित हुआ।
8. सूरज पोल (Suraj Pol):
- स्थान: किले के पूर्वी हिस्से में स्थित।
- विशेषता: यह द्वार किले के अंदर सूर्य के उदय की दिशा में स्थित है, इसलिए इसे सूरज पोल कहा जाता है। यह द्वार सूरज की पहली किरणों के स्वागत के लिए बनाया गया था।
- इतिहास: सूरज पोल से किले का विहंगम दृश्य दिखाई देता है, और यह किले की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण था। इस द्वार के आसपास की वास्तुकला सूर्य भगवान के सम्मान में बनाई गई है। https://aawazbharatki.com/%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%9c%e0%a4%af-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%ae%e0%a5%8d%e0%a4%ad-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a4%e0%a5%80%e0%a4%af-%e0%a4%ae%e0%a5%82%e0%a4%b0%e0%a5%8d/