Anant Chaturdarshi/Ganesh Visarjan 2024
Anant Chaturdarshi/Ganesh Visarjan 2024
Anant Chaturdarshi/Ganesh Visarjan 2024: अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है| यह दिन गणेश चतुर्थी के 10-दिवसीय उत्सव के समापन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें भगवान गणेश, जो बुद्धि और समृद्धि के देवता हैं, की पूजा की जाती है। यह पर्व भारत के विभिन्न राज्यों, विशेषकर महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
2024 में कब है अनंत चतुर्दर्शी/ गणेश विसर्जन?
2024 में अनंत चतुर्दर्शी/ गणेश विसर्जन 16 सितम्बर के दिन है| इस दिन दोपहर में 3 बजकर 11 मिनट पर अनंत चतुर्दर्शी की तिथि आरम्भ होगी, जो कि 17 सितम्बर को सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो जाएगी|
कब है अनंत चतुर्दशी/गणेश विसर्जन?
अनंत चतुर्दर्शी का शुभ मुहूर्त:
अनंत चतुर्दर्शी का शुभ मुहूर्त 16 सितम्बर को दोपहर 3 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगा, तथा 17 सितम्बर को सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो जायेगा| जबकि अनंत चतुर्दर्शी का व्रत 17 सितम्बर को रखा जायेगा|
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि:
Anant Chaturdarshi/Ganesh Visarjan 2024: अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि (Pooja Vidhi) को सही तरीके से करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन विष्णु भगवान को अनंत स्वरूप में पूजने का विशेष महत्व है। यहाँ अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि दी गई है:
स्नान और स्वच्छता:
- सबसे पहले प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल की सफाई करें और उसे गंगाजल से शुद्ध करें।
व्रत का संकल्प:
- पूजा की शुरुआत में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत रखने का संकल्प लें।
- हाथ में जल, चावल और पुष्प लेकर भगवान विष्णु से व्रत की सिद्धि के लिए प्रार्थना करें।
विष्णु प्रतिमा या चित्र:
- पूजा के लिए भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- अगर गणेश विसर्जन के साथ पूजा हो रही हो, तो गणेश जी की प्रतिमा के साथ भी पूजा की जाती है।
अनंत सूत्र:
- एक कच्चा धागा लें, जिसमें 14 गाँठे लगी हों। इसे अनंत सूत्र कहा जाता है। धागा कुंकुम, हल्दी, और चंदन से पूजित होता है।
- पूजा के बाद इस धागे को पुरुष दाहिने हाथ में और महिलाएं बाएँ हाथ में धारण करती हैं।
कलश स्थापना:
- पूजा स्थल पर तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित करें। इसमें जल भरें और उसके ऊपर आम के पत्ते और नारियल रखें।
- कलश की पूजा करें और इसे भगवान विष्णु का प्रतीक मानकर जल, चावल, फूल, रोली और चंदन चढ़ाएं।
भगवान विष्णु की पूजा:
- अब भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हें चंदन, कुंकुम, हल्दी, फूल, फल, मिठाई, और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) अर्पित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु मंत्र का जाप करें:
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
अनंत कथा सुनें:
- अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत भगवान की कथा सुनना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह कथा सत्ययुग में राजा सुषेण और उनकी पत्नी शीला द्वारा अनंत भगवान की कृपा से धन और वैभव प्राप्त करने की है।
आरती और प्रसाद:
- पूजा के अंत में भगवान विष्णु और गणेश जी की आरती करें।
- प्रसाद के रूप में मिठाई, पंचामृत या पंजीरी वितरित करें।
व्रत धारण और भोजन:
- पूजा के बाद पूरे दिन व्रत रखें और शाम को व्रत खोलें। कुछ लोग फलाहार करते हैं, जबकि कुछ व्रत के बाद शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं।
अनंत चतुर्दर्शी पर अनंत सूत्र बंधने का क्या महत्त्व है?
Anant Chaturdarshi/Ganesh Visarjan 2024: अनंत चतुर्दशी के दिन धारण किए गए अनंत सूत्र का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। माना जाता है कि यह धागा भगवान विष्णु की कृपा का प्रतीक है, जो जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति दिलाता है और सुख-समृद्धि प्रदान करता है।
इस विधि से अनंत चतुर्दशी की पूजा करने से भगवान विष्णु और गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
अनंत चतुर्दर्शी के दिन किसकी पूजा की जाती है?
Anant Chaturdarshi/Ganesh Visarjan 2024: अनंत चतुर्दशी पर मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन उन्हें अनंत (असीम) रूप में पूजा जाता है। अनंत चतुर्दशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है, और मान्यता है कि उनकी पूजा से जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
इसके साथ ही, इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है, क्योंकि अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश चतुर्थी के 10 दिवसीय उत्सव का समापन होता है। इस दिन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन धूमधाम से किया जाता है।
इस प्रकार, अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु और गणेश जी, दोनों की पूजा का विशेष महत्व होता है।
अनंत चौदस का व्रत कितनी तारीख को है?
इस साल 2024 में अनंत चौदस का व्रत 17 सितम्बर 2024 को मनाया जायेगा|
अनंत चतुर्दर्शी का महत्त्व:
अनंत चतुर्दशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान विष्णु और भगवान गणेश दोनों की पूजा से जुड़ा हुआ पर्व है। इस दिन को भगवान गणेश की विदाई और भगवान विष्णु के अनंत रूप की आराधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व निम्नलिखित है:
1. भगवान गणेश की विदाई:
अनंत चतुर्दशी गणेशोत्सव का अंतिम दिन होता है, जो दस दिन चलने वाला उत्सव है। इस दिन भक्त गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन करते हैं, जो गणेश जी के स्वर्गलोक या कैलाश पर्वत पर वापस लौटने का प्रतीक है। यह विदाई का दिन होता है, जिसमें भक्त गणेश जी को अगले साल पुनः आने का निमंत्रण देते हैं। इस दिन की पूजा और विसर्जन से भगवान गणेश भक्तों को बुद्धि, समृद्धि, और सुख-शांति प्रदान करते हैं।
2. अनंत भगवान की पूजा:
इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। “अनंत” का अर्थ होता है, जो अंतहीन है। भगवान विष्णु को अनंत के रूप में पूजा जाता है, जो समय और स्थान की सीमाओं से परे हैं। इस पूजा से भक्तों को जीवन में शांति, धैर्य, और समृद्धि प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है और अनंतकाल तक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
3. अनंत व्रत और अनंत सूत्र:
अनंत चतुर्दशी के दिन लोग अनंत व्रत करते हैं, जिसमें उपवास और पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन अनंत सूत्र धारण किया जाता है, जो कच्चे धागे से बना होता है और उसमें 14 गांठें होती हैं। यह 14 गांठें जीवन के 14 प्रमुख सुखों और समस्याओं का प्रतीक हैं, जिनसे व्यक्ति को मुक्ति दिलाने के लिए यह व्रत किया जाता है। यह सूत्र विष्णु भगवान की कृपा और सुरक्षा का प्रतीक होता है।
4. धार्मिक और पौराणिक कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार युधिष्ठिर ने भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की थी, जिससे उनके जीवन में चल रहे संघर्षों का अंत हुआ। इस दिन को अनंत भगवान की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ समय माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत और पूजा करता है, उसे जीवन के समस्त संकटों से मुक्ति मिलती है और वह अनंतकाल तक सुखी रहता है।
5. सांस्कृतिक महत्व:
महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, और अन्य राज्यों में अनंत चतुर्दशी पर विशेष उत्सव होते हैं। गणेश विसर्जन की शोभायात्राओं में हजारों लोग भाग लेते हैं। इस दिन का सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है, क्योंकि यह सामूहिकता, भक्ति, और समर्पण का प्रतीक होता है। लोग मिल-जुलकर गणेश जी की पूजा करते हैं, जो समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देता है।
अनंत चतुर्दशी के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू:
- महाराष्ट्र, गुजरात, और कर्नाटक में गणेश विसर्जन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहां भक्तों की भीड़ गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाती है।
- इस अवसर पर भक्ति गीत, नृत्य, और धार्मिक झांकियां निकाली जाती हैं।
- अनंत चतुर्दशी का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने, पारिवारिक समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक है।