Raksha Bandhan 2025
Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भाई-बहन के प्रेम और रक्षा के संबंध को समर्पित होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई भी बहन को जीवनभर उसकी रक्षा करने का वचन देता है और उपहार देता है।

कब मनाया जाता है रक्षा बंधन का यह पावन त्यौहार?
Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार तय होती है, इसलिए इसका ग्रेगोरियन कैलेंडर (अंग्रेज़ी तारीख़) में हर वर्ष अलग-अलग दिन होता है। आमतौर पर जुलाई-अगस्त के महीने में पड़ती है।
raksha bandhan 2025 date and time:
2025 में रक्षा बंधन का पावन त्यौहार 9 अगस्त, 2025, शनिवार को मनाया जायेगा|
राखी बांधने का शुभ-मुहूर्त:
2025 में राखी बांधने का शुभ-मुहूर्त सुबह 5:47 से दोपहर 1:24 तक का है| पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे समाप्त होगी| इस तरह से राखी बांधने का शुभ समय 7 घंटे 37 मिनट का है|
क्यों मनाया जाता है रक्षा बंधन का त्यौहार?
1. भाई-बहन के रिश्ते का उत्सव:
बहन अपने भाई की कलाई पर राखी (एक पवित्र धागा) बांधती है, तिलक करती है, और उसकी लंबी उम्र व समृद्धि की कामना करती है। बदले में, भाई जीवनभर बहन की रक्षा का वचन देता है और उसे उपहार देता है।
2. पौराणिक कथाये:
- श्रीकृष्ण और द्रौपदी: महाभारत के अनुसार, श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध करते समय अपनी उंगली काट ली थी। द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इससे भावुक होकर श्रीकृष्ण ने प्रतिज्ञा की कि वह हमेशा उसकी रक्षा करेंगे। यह बंधन “रक्षा सूत्र” का प्रतीक बन गया।
- इंद्र और इंद्राणी: एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब असुरों से युद्ध में इंद्र कमजोर पड़ गए, तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने उन्हें एक पवित्र धागा (रक्षा सूत्र) बांधा। इससे इंद्र को शक्ति मिली और वे युद्ध में विजयी हुए।
- रानी कर्णावती और हुमायूं: राजस्थान की रानी कर्णावती ने जब मुगल शासक हुमायूं को राखी भेजी थी, तो उसने इसे बहन का प्रेम मानकर उनकी रक्षा के लिए सेना सहित सहायता भेजी। यह ऐतिहासिक प्रसंग भी रक्षाबंधन की महिमा को दर्शाता है।
3. समाज में महत्त्व:
- सांस्कृतिक एकता: यह त्योहार जाति, धर्म और भाषा से ऊपर उठकर सामाजिक भाईचारे का प्रतीक है।
- महिलाओं का सशक्तिकरण: रक्षा बंधन महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा की भावना देता है।
- परिवारिक संबंधों को मज़बूती: भाई-बहन का यह संबंध आजीवन प्रेम, समर्पण और सहयोग की भावना से जुड़ा होता है।

रक्षा बंधन का महत्व
रक्षा बंधन का महत्व केवल एक त्योहार के रूप में नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप में भी बहुत गहरा है। यह भाई-बहन के अटूट प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के बंधन को मनाने का पर्व है।
1. भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती:
- यह पर्व भाई-बहन के निर्मल प्रेम को दर्शाता है।
- बहन राखी बांधकर भाई की लंबी उम्र और सफलता की कामना करती है।
- भाई जीवनभर उसकी रक्षा और सम्मान का वचन देता है।
2. धार्मिक और पौराणिक महत्व
- रक्षा सूत्र की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है, जहाँ यज्ञों में ब्राह्मणों को रक्षा सूत्र बांधा जाता था।
- श्रीकृष्ण-द्रौपदी, इंद्र-इंद्राणी, कर्णावती-हुमायूं जैसी पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएँ इसकी गहराई को दर्शाती हैं।
3. सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
- यह पर्व जाति, वर्ग, धर्म से ऊपर उठकर सामाजिक सौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा देता है।
- कई क्षेत्रों में महिलाएँ सैनिकों, पुलिसकर्मियों या पड़ोसियों को भी राखी बांधकर सामूहिक रक्षा का भाव व्यक्त करती हैं।
4. नारी सम्मान और सशक्तिकरण
- रक्षा बंधन महिला को सम्मान, सुरक्षा और अधिकार का प्रतीक अवसर देता है।
- यह पर्व महिला की भावनात्मक शक्ति और परिवार में उसकी अहम भूमिका को भी दर्शाता है।
5. आध्यात्मिक महत्व
- राखी केवल धागा नहीं बल्कि संस्कार, श्रद्धा और भावना का प्रतीक है।
- यह व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद दिलाता है।
प्रमुख शहरों के अनुसार राखी बांधने का स्थानीय समय
शहर/राज्य | राखी बंधने का समय (स्थानीय समय) |
नई दिल्ली | सुबह 5:47 बजे – दोपहर 1:24 बजे |
कोलकाता | सुबह 5:47 बजे – दोपहर 1:24 बजे |
मुंबई | सुबह 5:47 बजे – दोपहर 1:24 बजे |
बेंगलुरु | सुबह 5:47 बजे – दोपहर 1:24 बजे |
जयपुर | सुबह 5:47 बजे – दोपहर 1:24 बजे |
हैदराबाद | सुबह 5:47 बजे – दोपहर 1:24 बजे |
लखनऊ | सुबह 5:47 बजे – दोपहर 1:24 बजे |
भोपाल | सुबह 5:47 बजे – दोपहर 1:24 बजे |
पटना | सुबह 5:47 बजे – दोपहर 1:24 बजे |
चेन्नई | सुबह 5:47 बजे – दोपहर 1:24 बजे |
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