Dev Uthani Ekadashi 2024
Dev Uthani Ekadashi 2024
Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी (जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है) एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो देवताओं के जागने के दिन के रूप में मनाया जाता है। यह एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है, जो आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में होती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के योग-निद्रा (चातुर्मास) से जागते हैं।
2024 में कब है देव उठनी एकादशी?
Dev Uthani Ekadashi 2024: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 12 नवंबर 2024 को देवउठनी एकादशी है।
देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त:
Dev Uthani Ekadashi 2024: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगी।
देवउठनी एकादशी का महत्त्व:
Dev Uthani Ekadashi 2024
Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी का महत्त्व हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु के जागरण का दिन माना जाता है। इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है, जो चार महीने के चातुर्मास के बाद किए जाते हैं। यहां इस एकादशी का प्रमुख महत्त्व दिया गया है:
1. भगवान विष्णु का जागरण:
देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने की योग-निद्रा (चातुर्मास) के बाद जागते हैं। इस दिन को उनका जागरण माना जाता है, जिसके बाद सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ आदि शुरू किए जा सकते हैं।
2. तुलसी विवाह का आयोजन:
इस दिन तुलसी (पवित्र पौधा) का प्रतीकात्मक विवाह भगवान विष्णु के अवतार शालिग्राम से कराया जाता है। यह विवाह धार्मिक दृष्टि से बहुत पवित्र माना जाता है और इसे करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
3. विवाह और शुभ कार्यों की शुरुआत:
चातुर्मास के दौरान विवाह और अन्य धार्मिक कार्यों पर रोक होती है। देवउठनी एकादशी के दिन से फिर से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। लोग इस दिन से विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और अन्य मंगल कार्य करते हैं।
4. व्रत और पुण्य प्राप्ति:
इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्त्व है। माना जाता है कि देवउठनी एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
5. सकारात्मक ऊर्जा और नए उत्साह का संचार:
चातुर्मास के बाद यह दिन नई ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है। लोग इस दिन धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ करके अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
6. भजन-कीर्तन और जागरण:
इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना के साथ भजन-कीर्तन और जागरण का आयोजन होता है। यह धार्मिक और सामाजिक तौर पर लोगों को एकजुट करने का एक अवसर भी होता है।
देव उठानी एकादशी व्रत-विधान:
Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी व्रत विधान का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, ताकि व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति हो और जीवन में सुख-समृद्धि आए। आइए जानते हैं इस व्रत का विधान और इसके पालन की विधि:
1. व्रत का संकल्प:
- व्रतधारी एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को संकल्प लेते हैं और सात्विक भोजन करते हैं।
- दशमी को लहसुन, प्याज, मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित होता है।
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
2. भगवान विष्णु की पूजा:
- पूजा स्थान को साफ करके भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- विष्णु जी को पीले वस्त्र पहनाएं, चंदन, फूल, धूप-दीप, और नैवेद्य (फल, मिठाई आदि) अर्पित करें।
- तुलसी के पत्ते को विष्णु जी को चढ़ाना विशेष फलदायी माना जाता है। तुलसी का बिना पत्तों के विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। जैसे:
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी इस दिन बहुत लाभकारी होता है।
3. तुलसी विवाह:
- देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। इस प्रक्रिया में तुलसी जी का शालिग्राम भगवान के साथ विवाह कराया जाता है।
- इस विवाह में सुहागिन महिलाएं विशेष रूप से भाग लेती हैं और अपने परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करती हैं।
4. व्रत के दौरान आहार:
- इस दिन फलाहार किया जाता है। व्रती फल, दूध, मेवा और अन्य सात्विक खाद्य पदार्थ ग्रहण कर सकते हैं।
- कुछ लोग निर्जला व्रत (बिना पानी के) रखते हैं, जबकि कुछ फलाहारी व्रत करते हैं।
- एकादशी के दिन अनाज और दालों का सेवन वर्जित होता है।
5. रात्रि जागरण:
- एकादशी के दिन रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन का विशेष महत्त्व है। विष्णु जी के भजनों का गान किया जाता है और रात्रि भर जागकर भगवान की महिमा का गुणगान किया जाता है।
6. व्रत का पारण:
- द्वादशी तिथि को व्रत का पारण किया जाता है। द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और दान-पुण्य करें।
- व्रत का पारण सही समय पर करना बहुत आवश्यक होता है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना विशेष फलदायी माना जाता है।
7. दान-पुण्य:
- व्रत के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। श्रद्धालु इस दिन ब्राह्मणों, गरीबों, और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करते हैं।
- गोदान, अन्नदान, और जलदान करना इस दिन बहुत शुभ माना जाता है।
8. विष्णु सहस्रनाम का पाठ:
- देवउठनी एकादशी के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- साथ ही, जो लोग तुलसी का पौधा अपने घर में लगाते हैं और उसकी नियमित पूजा करते हैं, उन्हें विशेष आशीर्वाद मिलता है।
देव उठानी एकादशी पर शादियों की शुरुआत:
Dev Uthani Ekadashi 2024: देव उठानी एकादशी के दिन से शादियों का आयोजन शुरू होता है। इसे एक शुभ और मंगलकारी समय माना जाता है। कई परिवार इस दिन अपने बेटों और बेटियों की शादियों की तैयारी शुरू कर देते हैं। यह समय न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी एक उत्सव का माहौल बनाता है। इस साल 12 नवंबर 2024 को देवउठनी एकादशी है।
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