Janmashtmi 2024 date
Janmashtmi 2024 date : कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इसे देशभर में बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा नगरी में हुआ था।
Janmashtmi 2024 date:
Janmashtmi 2024 date : भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है| साल 2024 में भगवान् श्री कृष्ण का बड़े ही धूम-धाम से 5251वा जन्मोत्सव मनाया जायेगा, जो कि इस साल 26 अगस्त को है|
इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी का यह त्यौहार 26 अगस्त अष्टमी को प्रारंभ होकर 27 अगस्त नवमी को समाप्त होगा|
कब है जन्माष्टमी 2024:
अष्टमी तिथि प्रारंभ : 26, 2024 को 3:39 AM बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: अगस्त 27 , 2024 को 2:19 AM बजे
जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त 2024:
निशिता पूजा का समय: अगस्त 26, 12:06 AM से 12:51 AM तक
पूजा अवधि: 45 मिनट
पारण समय: 3:38 PM, अगस्त 27 के बाद
पारण के दिन रोहिणी नक्षत्र समाप्ति समय: 3:38 PM, अगस्त 27
पारण के दिन अशत्मी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी|
चंद्रोदय समय: 11:20 PM
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्त्व:
श्रीकृष्ण का जन्म: भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा नगरी में, कंस के कारागार में हुआ था। उनका जन्म दुष्ट राजा कंस के अत्याचारों से मुक्त करने के लिए हुआ था।
धार्मिक महत्व: इस दिन को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में मनाया जाता है और यह दिन भक्तों के लिए बहुत ही पवित्र माना जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव का आयोजन:
कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव विशेष रूप से मध्यरात्रि के समय मनाया जाता है क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था। इस दिन, भक्तजन उपवास रखते हैं और रातभर जागरण करते हैं। मन्दिरों और घरों में भगवान कृष्ण की मूर्तियों को झूलों में सजाया जाता है और उनके बाल रूप की पूजा की जाती है।
झांकिया और नृत्य:
इस दिन विभिन्न झाँकियाँ और नृत्य-नाटिकाएँ भी आयोजित की जाती हैं, जिनमें भगवान कृष्ण के जीवन की घटनाओं का प्रदर्शन होता है। मथुरा, वृन्दावन और द्वारका जैसे स्थानों पर इस त्योहार को विशेष धूमधाम से मनाया जाता है।
दही-हांड़ी:
मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में ‘दही-हांडी’ उत्सव का विशेष महत्व है। इस उत्सव में मटकी फोड़ने की प्रतियोगिता होती है, जिसमें प्रतिभागी मानव पिरामिड बनाकर ऊँचाई पर टंगी मटकी को फोड़ते हैं।
व्रत और पूजा:
भक्तजन इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं और रातभर जागरण करते हैं। मध्यरात्रि के समय भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाया जाता है, भजन-कीर्तन किए जाते हैं और प्रसाद वितरण किया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए हर्ष और उल्लास का समय होता है, जो भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और उनके जीवन के उपदेशों को याद दिलाता है।
पूजा-विधि:
स्नान और स्वच्छता: प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मूर्ति स्थापना: भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
पूजा सामग्री: दीपक, अगरबत्ती, फूल, फल, तुलसी दल, पंचामृत, माखन-मिश्री, मिठाई आदि पूजा सामग्री रखें।
मंत्र और भजन: श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करें और भजन गाएं।
अभिषेक: मूर्ति का दूध, दही, घी, शहद और शुद्ध जल से अभिषेक करें।
आरती व प्रसाद: आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
श्री कुंज बिहारी जी की आरती:
आरती कुञ्ज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
गले में बंसी, बाजे अधर पर, गले में बंसी, बाजे अधर पर, खलक देखि मोहन ठुमक चले।।
आरती कुञ्ज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
त्रिभुवन मोहन रूप निराला, त्रिभुवन मोहन रूप निराला, रत्न सिंहासन विराजत बिराजत, रत्न सिंहासन विराजत बिराजत, सुमन रजत माला।।
आरती कुञ्ज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
श्री मुख मधुर मधुर बंसी बाजे, श्री मुख मधुर मधुर बंसी बाजे, सुर नर मुनि जन गावत।।
आरती कुञ्ज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
कहै सूरदास स्वामी शरण अब, कहै सूरदास स्वामी शरण अब, ले लो चरणों की शरण।।
आरती कुञ्ज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
इस आरती को भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के अंत में गाते हैं। आरती के दौरान दीपक जलाकर भगवान के सामने घुमाया जाता है, और भक्तगण भक्ति और श्रद्धा के साथ इस आरती का गायन करते हैं।
Janmashtami date 2025-2029
तारीख | दिन | त्यौहार |
15 अगस्त 2025 | शुक्रवार | कृष्ण जन्माष्टमी |
4 सितम्बर 2026 | शुक्रवार | कृष्ण जन्माष्टमी |
25 अगस्त 2027 | बुधवार | कृष्ण जन्माष्टमी |
13 अगस्त 2028 | रविवार | कृष्ण जन्माष्टमी |
1 सितम्बर 2029 | शनिवार | कृष्ण जन्माष्टमी |
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