Hariyali amavasya mela udaipur 2024 :
Hariyali amavasya mela udaipur में पिछले 125 सालो से चल रहा है, जो की सिर्फ महिलाओ और सहेलियों के लिए ही होता है | यह मेला उदयपुर में फतेहसागर झील तथा सहेलियों की बाड़ी में बहुत ही धूमधाम से लगता है|
World unique fair में दर्ज हें udaipur का Hariyali amavasya mela.
मेले तो कई जगह लगते है, पर उदयपुर के Hariyali amavasya का मेला विश्व के अनूठे मेलो में से एक है| क्योकि यह दो दिवसीय मेला सिर्फ महिलाओ के लिए ही रिजर्व होता है, यहा पुरुषो की एंट्री नही होती है|
Hariyali amavasya mela udaipur का इतिहास:
हरियाली अमावस्या पर राजस्थान में कई जगह मेले आयोजित होते हैं लेकिन उदयपुर के मेले की बात कुछ और ही है। इस मेले की शुरूआत तात्कालिक महाराणा फतहसिंह के कार्यकाल के दौरान सन 1898 में हुई थी। महाराणा फतहसिंह ने दुनिया में पहली बार महिलाओं को अकेले मेले का आनंद उठाने का अधिकार दिया था। इसके लिए उन्होंने फतहसागर झील जिसे पहले देवाली तालाब कहा जाता था, उस पर पाल बनवाई और वहां महिलाओं का मेला आयोजित किया। तब से यह परंपरा चली आ रही है।
महाराणा फतह सिंह के नाम पर ही देवाली तालाब का नाम फतहसागर पड़ा, जो प्रसिद्ध झीलों में शुमार है। पहली बार जब महाराणा फतहसिंह मेवाड़ की महारानी और अपनी पत्नी चावड़ी रानी के साथ देवाली तालाब पर घूमने गई तब महारानी ने उनसे महिलाओं के लिए मेला आयोजित किए जाने की मांग की थी, जिसे उन्होंने मान लिया। उन्होंने महारानी की अपील के बाद पूरे नगर में मुनादी करा दी और दो दिवसीय मेले की शुरूआत कर उसका दूसरा दिन केवल महिलाओं यानी सखियों के लिए किए जाने की घोषणा कर दी।
महाराणा संग्राम सिंह ने सहेलियों के लिए बनवाई थी बाड़ी
मेवाड़ में महिलाओं को विशेष दर्जा मिलता रहा है। अठारवीं सदी में तत्कालीन महाराणा संग्राम सिंह ने शाही महिलाओं के लिए सहेलियों की बाड़ी का निर्माण कराया था। इस बाड़ी में उनकी रानी विवाह के दौरान आई 48 सखियों के के साथ हर दिन प्राकृतिक माहौल में घूमने आती थीं। महाराणा संग्राम सिंह ने सहेलियों की बाड़ी का डिजायन खुद तैयार किया था। रानी को बारिश की आवाज बेहद पसंद थी और इसीलिए इसमें ऐसे फव्वारे बनाए गए जिनके चलते रहने से बारिश का अहसास होता रहता था। इस बाड़ी के प्रमुख आकर्षण यहां लगे फव्वारे हैं, जिन्हें इंग्लैण्ड से मंगवाया गया था और वह गुरुत्वाकर्षण पद्धति से चलते थे। बीचों बीच लगी छतरी से चादर की तरह पानी गिरता है, ऐसा फव्वारा दुनिया में कहीं नहीं पाया जाता।
Hariyali amavasya 2024 तिथि
Hariyali amavasya श्रावण शिवरात्रि के एक दिन बाद चतुर्दशी तिथि को आती है। हरियाली तीज तीन दिन बाद यानी शुक्ल पक्ष की तृतीया (तीसरे दिन) बुधवार, 07 अगस्त को मनाई जाएगी
इस बार खास है Hariyali amavasya:
Hariyali amavasya 2024 इसलिए खास है क्योंकि इस दिन 5 शुभ महायोग बनेंगे| यह एक दुर्लभ संयोग है, जो पिछली बार एक सदी से भी पहले बना था। शुभ योग (1 अगस्त को दोपहर 12:11 बजे तक), सिद्धि योग (31 जुलाई को शाम 07:06 बजे से 1 अगस्त को दोपहर 03:16 बजे तक), गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग (ये तीनों योग 1 अगस्त को सुबह 06:18 बजे से 1 अगस्त को दोपहर 12:11 बजे तक)